OLD Pension Scheme : पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली को लेकर सरकारी कर्मचारी लगातार आंदोलन कर रहे हैं। इस बार राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा उत्तराखंड की ओर से 16 मार्च से देहरादून से दिल्ली तक पैदल मार्च किया गया है। इस मार्च का मकसद सरकार पर दबाव बनाना है, ताकि पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) को दोबारा लागू किया जाए। इस आंदोलन का अगला बड़ा कदम 23 मार्च को दिल्ली के जंतर-मंतर पर होने वाली महा रैली होगी, जिसमें पूरे देश के कर्मचारी शामिल होने वाले हैं।
सरकार पर दबाव बनाने की तैयारी
शनिवार को इस मुद्दे को लेकर समिति की समीक्षा बैठक हुई, जिसमें पुरानी पेंशन की बहाली के लिए उठाए गए कदमों पर चर्चा की गई। कर्मचारी लगातार आंदोलन कर रहे हैं, ज्ञापन सौंप चुके हैं, और सरकार से कई बार मांग कर चुके हैं, लेकिन अभी तक सरकार की ओर से कोई ठोस ऐलान नहीं हुआ है।
अब सभी की नजरें 23 मार्च की रैली पर टिकी हुई हैं, जहां लाखों कर्मचारी जुटकर सरकार को फिर से अपनी मांगों की याद दिलाएंगे। इस दौरान सरकार की तरफ से कोई बड़ा बयान आ सकता है या फिर कर्मचारियों की मांगों को लेकर कोई नई रणनीति सामने आ सकती है।
नई पेंशन स्कीम (NPS) पर सवाल
बैठक में प्रदेश प्रभारी विक्रम सिंह रावत ने कहा कि सरकार NPS (नई पेंशन योजना) बंद करने की बजाय UPS लाकर कर्मचारियों को गुमराह कर रही है। कर्मचारियों को उम्मीद थी कि सरकार OPS को बहाल करेगी, लेकिन उसकी बजाय नए नियम लाकर चीजों को और जटिल किया जा रहा है।
प्रदेश कार्यकारिणी अध्यक्ष मनोज अवस्थी ने कहा कि 23 मार्च को राष्ट्रीय अध्यक्ष बीपी सिंह रावत के नेतृत्व में पूरे देशभर से कर्मचारी दिल्ली के जंतर-मंतर पर इकट्ठा होंगे। इस रैली से सरकार पर दबाव बढ़ेगा और उम्मीद की जा रही है कि OPS को लेकर कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता है।
23 मार्च को हो सकता है बड़ा ऐलान
23 मार्च को दिल्ली में होने वाले इस आंदोलन को लेकर कर्मचारियों में जबरदस्त जोश है। यह आंदोलन 7 दिन की पैदल यात्रा के बाद दिल्ली पहुंचेगा और जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन के साथ खत्म होगा। इस बीच यह भी खबरें आ रही हैं कि केंद्र सरकार इस मौके पर पुरानी पेंशन को लेकर कोई आधिकारिक बयान दे सकती है।
सरकार का क्या फैसला होगा, यह तो समय ही बताएगा, लेकिन अगर कर्मचारियों की मांगों को अनदेखा किया गया, तो आंदोलन और तेज हो सकता है।
सरकार के पिछले बयान
सरकार पहले भी OPS बहाल करने को लेकर अपने विचार रख चुकी है। सरकार का कहना है कि अगर 2005 के बाद भर्ती हुए कर्मचारियों को फिर से OPS में शामिल किया जाता है, तो सरकार पर भारी वित्तीय बोझ पड़ेगा। इससे महंगाई बढ़ सकती है और आम लोगों पर असर पड़ सकता है।
इसी वजह से सरकार OPS बहाल करने की बजाय NPS में कुछ बदलाव करने पर विचार कर रही है, ताकि कर्मचारियों को पुरानी पेंशन जैसी सुविधाएं मिल सकें। हालांकि, कर्मचारियों का कहना है कि NPS में सुधार से समाधान नहीं निकलेगा, बल्कि OPS ही एकमात्र सही विकल्प है।
आगे क्या होगा
अब सबकी नजरें 23 मार्च पर टिकी हैं। अगर इस दिन सरकार कोई ठोस ऐलान करती है, तो कर्मचारियों को राहत मिल सकती है। लेकिन अगर सरकार ने फिर से टाल-मटोल की नीति अपनाई, तो आंदोलन और उग्र हो सकता है।
फिलहाल, पुरानी पेंशन योजना को लेकर देशभर के सरकारी कर्मचारी एकजुट हो चुके हैं और अब देखना यह होगा कि सरकार इस पर क्या कदम उठाती है।